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एक था बबलू ! अब दामिनी का यही भविष्य है। जिस दामिनी के लिए देश और दुनिया भर से जीने की दुआएं मांगी जा रही थी आज वो एक बार फिर अकेली हो गई है। आज के करीब 5 साल पहले जन्म लेते ही अपनी मां को खोने वाले दामिनी के पिता की भी मंगलवार को मौत हो गई। पांच साल पहले दामिनी ने लिए दुआ और आर्थिक मदद भेजने वालों ने दामिनी को 18 लाख रुपए की मालिक बना दिया था लेकिन फिर भी पिता बबलू दामिनी को गले में बांध कर सीने से लगाकर उसके पालन-पोषण के लिए रिक्शा चलाता था।

मां के जाने के बाद पिता के लिए बनी थी चुनौती

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के भरतपुर शहर की दामिनी यानि अंकुर और उसके पिता बबलू की। दोनों करीब पांच साल पहले सुर्खियों में आए थे। बबलू रिक्शा चलाता था और पत्नी की मौत के बाद दामिनी की परवरिश उसके लिए चुनौती बन चुकी थी। लेकिन उसकी मदद को समाज आगे आया और जल्द ही दोनों के अच्छे दिन लौट आए। लेकिन अब पिता की मौत के बाद दामिनी फिर से बेसहारा हो गई।

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बाप-बेटी की कहानी से सहम जाएंगे आप

साल 2012 के नवम्बर महीने में बबलू की पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया। लेकिन इस नवजात बच्ची के दुनिया में आते ही उसकी मां ने दुनिया को अलविदा कह दिया। अपना और अपनी नवजात बालिका का भरण पोषण करने के लिए बबलू अपनी नवजात बच्ची को सीने से लगाए रिक्शा चलाने लगा तो वह मीडिया की सुर्खियां बनने लगा। उसकी बेबसी देखकर लोगों ने मदद के हाथ बढ़ाए। जिला प्रशासन ने भी उसे संजीदगी से लिया और उसकी मदद के लिए बच्ची अंकुर और उसके पिता बबलू के नाम से बैंक में खाता खुलवाया। इस खाते में सहयोग राशि जमा होती गई और रकम करीब 18 लाख रुपए तक पहुंच गई।

5 साल पहले मां ने छोड़ा साथ अब पिता भी नही रहे

बिन मां की बेटी दामिनी का भाग्य संवारने के लिए भले ही देश-दुनिया के लोगों ने आर्थिक मदद की थी लेकिन मंगलवार को वह अनाथ हो गई। दामिनी के पिता बबलू का मंगलवार को भरतपुर के नुमाइश मैदान के पास एक कोठरी में सड़ा गला शव मिला। बबलू का कोई रिश्तेदार या परिजन नहीं होने की वजह से उसका दाह संस्कार पुलिस ने अपना घर के सहयोग से कराया।

23 लाख रुपए की मालिक दामिनी अब शिशु गृह में रखा गया है। अबोध बच्ची अपने पिता की मौत की खबर से अनजान है और अपने हमउम्र बच्चों के साथ खेलने में मस्त रहती है दामिनी की मदद से लिए जो पैसा बैंक में जमा हुए था वह बढ़कर अब 23 लाख रुपए हो चुका है।