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जयपुर का अल्बर्ट हॉल म्यूजियम
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जयपुर का अल्बर्ट हॉल म्यूजियम

राजधानी जयपुर के इकलौते और राजस्थान के सबसे पुराने म्यूजियम अल्बर्ट हॉल का आज स्थापना दिवस है। आज अल्बर्ट हाल का 132वा स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। शहर के बीचों बीच रामनिवास बाग में स्थापित अल्बर्ट हॉल न केवल ज्ञान का केन्द्र है, साथ ही कलाकारों को अपने ज्ञान को विकसित करने की एक ऐसी जगह भी है जहां पारम्परिक भारतीय कला का संरक्षण हुआ है। महारानी विक्टोरिया के पुत्र प्रिंस ऑफ वेल्स अल्बर्ट एडवर्ड के वर्ष 1876 ई. में जयपुर आगमन के दौरान अल्बर्ट हॉल की नींव रखी गई थी। हालांकि उस समय यह निर्धारित नहीं था कि इस भवन का उपयोग किस लिए किया जाने वाला है। अल्बर्ट हॉल का निर्माण वर्ष 1887 में पूर्ण हुआ तथा अस्थायी संग्रहालय तथा प्रदर्शनी जिसमें कला वस्तुओं को भारत के विभिन्न भागों एवं आसपास के क्षेत्रों से एकत्रित किया गया था, को सम्मिलित कर इस नये संग्रहालय भवन में स्थानांतरित कर दिया गया।

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चांदनी की रोशनी में नहाया हुआ अल्बर्ट हॉल म्यूजियम

आज अल्बर्ट हॉल जयपुर शहर की एक खास पहचान बन गया है। एक अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष करीब 3 लाख से ज्यादा सैलानी अल्बर्ट हॉल का दीदार करने यहां आते हैं। स्कूली बच्चों सहित विज्ञान और आर्किटेक्ट पढ़ने वालों के लिए यहां काफी कुछ सिखने को मिलेगा। यहां रखी हुई ‘मम्मी’ राजस्थान की पहली और इकलौती है। विभिन्न प्रकार की रासायनिक दवाएं और अन्य चीजे यहां निश्चित तौर पर दर्शनीय हैं।
अलबर्ट हॉल की स्थापत्य कला में भारतीय-ईरानी के साथ पाषाण अलंकरण मुगल-राजपूत स्थापत्य कला का प्रतिबिंब साफ तौर पर नजर आता है। इस महल के गलियारों व बरामदों को भित्ति चित्रों से सुसज्जित किया गया है। यहां अकबर कालीन चित्रित ‘रज्मनामा’ तथा धार्मिक चित्रों की प्रतिकृतियाँ बनाई गई। बरामदों में यूरोप, मिश्र, चीन, ग्रीक और बेबिलोनिया सभ्यता की प्रमुख घटनाएं चित्रित की गई हैं ताकि संग्रहालय में आने वाले दर्शक अपनी संस्कृति के साथ-साथ अन्य देशों की संस्कृति और सभ्यता से भी परिचित हों और उनका ज्ञानवर्द्धन हो।

आज होगी फ्री एंट्री, चिड़ियाघर का कर सकेंगे दीदार

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चूंकि आज अल्बर्ट हॉल का स्थापना दिवस है, इसके चलते आज यहां एंट्री फ्री रखी गई है। अल्बर्ट हॉल के एकदम पास में शहर का इकलौता चिड़ियाघर मौजूद है जिसमें बच्चों के देखने के लिए शेर, बाघ, चिम्पांजी, सफेद बाघ, अजगर, हिरण-चीतल और मगर-घडियाल के साथ कई तरह के पक्षी मिलेंगे। शाम के समय अल्बर्ट हॉल के आसपास का नजारा एक चौपाटी जैसा लगने लगता है। आज यहां कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ संगीत संध्या के कार्यक्रम रखे गए हैं।

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