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आज जब कभी भी राजस्थान के किसी भी कोने में राजनीति की बात होती है तो एक ऐसे सख्श का नाम हर जुंबान पर जरूर आता है जो सच्चे मायनों में लोकसेवक और राजनीति के सच्चे पुजारी थे। इनकी लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि विदेशी गणमान्य शख्सि​यतों ने भी इनको अपने कार्यों की वजह से कई उप-नाम दिए हैं। इन्हें राजस्थान के लोग प्यार से ‘बाबा’ के नाम से बुलाते हैं। इनका बचपन एक गरीब राजपूत परिवार में हुआ था। जी हां, आज हम खास अवसर पर एक ऐसी ही एक प्रसिद्ध शख्सियत के बारे में बात करने वाले हैं। इनका नाम है भैरों सिंह शेखावत। भारत के महान नेता और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत जी के जयंती के अवसर पर आज हम उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे है:

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जन्म, शिक्षा व नौकरी: भैरों ​सिंह शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को यानि आज ही के दिन जयपुर रियासत के अधीन खाचरियावास गांव में हुआ था। अब खाचरियावास सीकर जिले में आता है। इनका पिता का नाम देवी सिंह शेखावत और माता का नाम बन्ने कंवर था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में और हाई स्कूल शिक्षा घर से 30 किलोमीटर दूर जोबनेर में हुई थी। जहां इनके पढ़ने के लिए रोज 30 किमी पैदल जाना पड़ता था। आगे की पढ़ाई के लिए इन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज में दाखिला लिया। लेकिन स्कूल की पढ़ाई के बाद इनकी पिता की मृत्यु के कारण इनके कंधों पर घर का बोझ आ गया। पिता के निधन के बाद परिवार के आठ सदस्यों के भरण पोषण की जिम्मेदारी इन पर आने के कारण ये आगे ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाए। खेती करने के दौरान ही इनका चयन पुलिस में सब-इंस्पेक्टर पद पर हो गया। कुछ समय तक पुलिस में नौकरी करने के बाद इन्होंने पुलिस सेवा से रिजाइन कर दिया। और गांव आकर फिर से खेती करने लग गए।

विवाह और राजनीति में करियर: भैरों सिंह जी का विवाह सूरज कंवर के साथ हुआ था। देश में स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद लोकतंत्र की स्थापना ने आम नागरिक के लिए उन्नति के दरवाजे खोल दिए। राजस्थान में जब सबसे पहले वर्ष 1952 में विधानसभा की स्थापना हुई तो शेखावत ने भी भाग्य आजमाया और वे पहली बार में ही विधायक बन गए। इसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा तथा सीढ़ी-दर-सीढ़ी राजनीति में बुलंदियों को छूते हुए राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचे।

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एक विधानसभा चुनाव को छोड़कर लगातार जीत दर्ज करने वाले पहले नेता: भैरों सिंह शेखावत एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने 1952 से राजस्थान के सभी विधानसभा चुनावों में (1972 में विधानसभा चुनाव को छोड़कर) जीत दर्ज की। शेखावत को राजस्थान में औद्योगिक और आर्थिक विकास का पिता भी जाना जाता है। भैरों सिंह को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत के सबसे ऊंचे नेता के तौर पर संबोधित किया था। राज्यसभा में उन्हें अतुलनीय प्रशासन और काम-काज के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं से भी सराहना मिली थी।

विश्व बैंक अध्यक्ष ने दिया यह प्रसिद्ध नाम: भैरों सिंह शेखावत को इनकी अंत्योदय योजना के  कारण इन्हें विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामरा ने “भारत का रॉकफेलर‘” कहा था। इनके द्वारा चलाई गई अंत्योदय अन्न योजना, काम के बदले अनाज योजना, प्रौढ़ शिक्षा आदि को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खूब सराहना मिली। अंत्योदय योजना बाद में अन्य राज्यों में भी चालू की गई। इन्हें पुलिस और अफसरशाही व्यवस्था पर कुशल प्रशासन के लिए भी जाना जाता है।

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जननेता भैरों सिंह शेखावत ने जीवन पर्यंत राजनीति में रहकर गांव, गरीब और किसानों की सेवा की। वह नेक, निर्भीक और परिपक्व नेता थे। उनका पक्ष विपक्ष के बीच जबरदस्त समन्वय था। अन्य दलों के साथ उनके सदैव अच्छे आत्मसंबंध रहे हैं। व्यक्तिगत स्तर पर उन्होंने विपक्षियों के साथ स्नेह, आदर सत्कार सदैव बनाए रखा। वे कहा करते थे वे गरीब परिवार से आए है ऐसे में किसानों, गांव, और गरीबों की सेवा सबसे पहले करना ही उनका धर्म है। शेखावत केंद्र सरकार के साथ परस्पर समन्वय बनाकार राज्य के हित में काम करते थे। ग्रामीण विकास पर उनका हमेशा जोर रहा।

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मृत्यु: भैरों सिंह शेखावत का निधन 86 वर्ष की उम्र में 15 मई 2010 को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में हो गया। शेखावत कैंसर से भी पीड़ित थे। उनके अंतिम संस्कार में देश के प्रसिद्ध राजनेता और लाखों की संख्या में लोग शामिल हुए।

विद्याधर नगर प्रार्थना सभा में सीएम राजे पहुंची: भैरों सिंह शेखावत जी की स्मृति में विद्याधर नगर स्मारक पर प्रार्थना सभा आयोजित की गई। जिसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी पहुंची। उनकी अगवानी नरपत सिंह राजवी ने की। सीएम राजे के साथ बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी भी प्रार्थना सभा में पहुंचे।