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प्रदेश में पानी की कमी को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा शुरू किया गया जल स्वावलम्बन अभियान आज प्रदेश के ग्रामीण जनजीवन को तर कर रहा है। देश के सबसे शुष्क राज्य की इस पीड़ा को बरसों से किसी ने नहीं समझा था। लेकिन राजस्थान की मुख्यमंत्री बनते ही वसुंधरा राजे इस स्वप्न अभियान को वास्तविकता तक ले जाने में लग गई थी। मरुधरा पर वसुंधरा का यह भागीरथी प्रयास आज प्रदेश के आम और ख़ास व्यक्ति का जीवन चहका रहा है। क्योंकि पानी किसी से भेदभाव नहीं करता। जिस तरह एक समय पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ऋषि भागीरथ गंगा को देवलोक से धरती पर लाये थे, आज वहीँ भूमिका अदा करते हुए, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सूखे पड़े हुए गाँवों के जलस्रोतों को आत्मिक शांति दी है।

फसल उत्पादन भी बढ़ा:

कहते है कि, पानी की कीमत सिर्फ इतनी नहीं कि वह प्यास बुझाता है। प्रकृति में हर तंत्र से इसका नाता है। चाहे जैविक हो या अजैविक, अस्तित्व के लिए पानी आवश्यक है। कुछ यहीं कहानी आज राजस्थान के गाँवों की है। मुख्यमंत्री जलस्वावलंबन अभियान ने इन ग्रामीणों की प्यास बुझाने के साथ ही इनका पेट भी भरा है। मरुभूमि में पहले जहाँ एक बीघा खेत में 15 से 20 मन गेहूं होता था आज वहीँ उत्पादन दोगुना होकर 40 मन हो गया है। सरसों, बाजरा, चना आदि फसल भी भरपूर लहलहा रही है। पहले जहाँ पानी की कमी से फसल समय पूर्व ही उखड जाती थी, वहां आज कोई समस्या नहीं रही। अभियान की सफलता से गाँव में भूजल स्तर में बढ़ोतरी हुई है। आस-पास के पशु-पक्षी भी यहाँ से अपनी प्यास बुझा रहे है।

गाँवों की टैंकर पर से निर्भरता घटी:

मुख्यमंत्री जलस्वावलंबन अभियान के प्रथम सफल चरण का परिणाम यह रहा कि गाँव की सभी बावड़ियां, जोहड़े, कुए, टाँके आदि जो पिछले मानसून में भरे थे। वो आज भीषण गर्मी में भी क्षेत्रवासियों की प्यास बुझा रहे है। इस अभियान से पहले जिन गांवों में 103 टैंकर के 1551 चक्कर की ज़रुरत होती थी, वहां आज महज़ 600 चक्कर में ही काम हो जाता है। सभी गाँव में साफ जलस्रोतों में आज भरपूर पानी भरा हुआ है। जिसका रखरखाव ग्रामीणवासी बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ करते है।

इस अभियान ने बनाया गाँवों को जल आत्मनिर्भर:

मुख्यमंत्री जलस्वावलंबन अभियान के पहले चरण की सफलता से आज राजस्थान के सभी गाँव जल की दृष्टि से पूर्ण आत्मनिर्भर हो गए है। अभियान का दूसरा चरण भी पूरा होने वाला है। सरकार ने अभियान के इस चरण को मानसून से पहले पूरा करने के निर्देश दिए है, ताकि होने वाली बारिश से सभी जलस्रोत पूरित हो जाये। व क्षेत्र के निवासियों को अभियान का पूरा लाभ मिलें। इस अभियान के पहले चरण में राजस्थान में 3529 गाँवों में 94 हज़ार से ज़्यादा जलग्रहण ढाँचे बनाये गए है, जिनमे से 95 फीसदी बारिश से लबालब हो गए है।