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चिकित्सा मंत्री व अजय चौधरी के बीच तीखी नोकझोक के बाद गतिरोध सुलझने के संकेत, खत्म हो सकती है चिकित्सकों की हड़ताल
पिछले 6 दिनों से चल रही सरकारी चिकित्सकों की हड़ताल और 33 सूत्री मांगों पर आंदोलन टूटते हुए दिख रहा है। आज शनिवार को एक न्यूज चैनल पर राजस्थान चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ व राजस्थान चिकित्सक संघ के अध्यक्ष अजय चौधरी के बीच तीखी नोकझोक के बाद अब कहीं जाकर राजस्थान सरकार व चिकित्सक संघ के बीच गतिरोध सुलझने के संकेत मिले हैं। राजस्थान सरकार उदारता दिखाते हुए एक बार फिर चिकित्सकों के साथ वार्ता के लिए तैयार हो गई है। खुद चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने अजय चौधरी को कल दोपहर 2 बजे चाय वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। काफी तकरार व गहमा-गहमी के होने के बावजूद अब आसान सुलझने के पूरे-पूरे आसार हैं। हालांकि इस वार्ता मुलाकात से पहले चिकित्सा संघ अध्यक्ष ने रेस्मा के तहत गिरफ्तारी को हटाने की मांग की थी लेकिन चिकित्सा मंत्री ने वार्ता के लिए आमंत्रित 5 चिकित्सकों के पैनल को गिरफ्तार न किए जाने का आश्वासन देते हुए फैसले का बचाव किया।

रविवार दो बजे होने वाली इस वार्ता में चिकित्सा संघ का 5 सदस्यीय दल राजस्थान सरकार से एक बार फिर वार्ता करेगा। 5 सदस्यीय दल में चिकित्सा संघ के अध्यक्ष अजय चौधरी ने खुद भी आने की हामी भरी है। वहीं दूसरी ओर, कालीचरण सराफ ने भी वार्ता में उपस्थित होने की बात कही है। वार्ता में ग्रैंड पे 10 हजार रूपए करने, चिकित्सकों के लिए आवास सुविधा, एक पारी में सेवाएं देने, कार्यकाल में 4 पदौन्नति देने और 60 साल के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृति की मांग पर फिर से एक बार विचार किया जा सकता है।

इससे पहले चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ और अजय चौधरी के बीच तीखी नोकझोंक व तकरार देखने को मिली। अजय चौधरी चिकित्सकों की ग्रैड पे 10 हजार रूपए करने पर अड़ गए। साथ ही आरएएस के बराबर कार्यकाल में 4 बार पद्दोन्नति देने की बात कही। उन्होंने इस बात पर तर्क दिया कि चिकित्सकों का कार्यकाल 62 वर्ष तक होता है जबकि बाकी सरकारी विभाग में यह सीमा 58 या 60 वर्ष तक ही निर्धारित है। साथ ही चिकित्सकों की नियुक्ति काफी दूर क्षेत्र में होने के कारण आने-जाने में लगने वाले समय को देखते हुए एक पारी में सेवाएं देने या आवास दिए जाने की बात भी कही।

अपना तर्क रखते हुए चिकित्सा मंत्री ने कहा कि वेतन में 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 21 प्रतिशत वृद्धि करने पर सहमति बन चुकी है। चिकित्सकों की 22 मांगें भी मानी जा चुकी हैं। आवास की बात पर विचार करने को का है। उन्होंने बताया कि 2 दिन पहले सचिवालय में हुई वार्ता में समझौता पत्र भी तैयार हो गया था लेकिन चौधरी रेजिडेंट डॉक्टर्स के न होने का बहाना बनाकर वार्ता के बीच से उठकर चले गए। दूसरी ओर चौधरी ने इस बात का खंडन करने हुए समझौता न होने की बात कही। साथ ही मांग पत्र को भी बदलने का आरोप लगाया। लेकिन आखिर में दोनों पक्ष एक-दूसरे से वार्ता के लिए तैयार हो गए। कल दोपहर 2 बजे होने वाली इस वार्ता में दोनों पक्षों के गतिरोध के सुलझने के आसार साफ तौर पर नजर आ रहे हैं। अगर ऐसा होता है तो इस विकट परिस्थितियों में मरीजों की जान सकते में आने से बच जाएगी।

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