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राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत  डॉक्टर्स एक बार फिर से हड़ताल पर चले गए हैं। इससे पहले डॉक्टर्स ने 18 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का अल्टिमेटल पहले से ही सरकार को दे दिया है लेकिन उससे 48 घंटे पहले ही हड़ताल पर चले जाना किसी भी तरह से वाजिब नहीं माना जा सकता है। अपनी 18 सूत्री मांगों को लेकर सरकारी चिकित्सक एक बार पहले भी 7 दिन की हड़ताल पर जा चुके हैं। उस समय इलाज के अभाव में प्रदेशभर में 30 से ज्यादा मौते हो चुकी थी। अब फिर से यही स्थिति आते दिख रही है। लेकिन इस बार सरकार भी आरपार के मूड में दिखाई दे रही है।

सेवारत चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार की वजह सरकार का उनकी स्वीकृत मांगों पर अमल न करना और उनका स्थानान्तरण ट्रांसफर करना बताया जा रहा है। पता चला है कि चिकित्सक हड़ताल पर जाने की जगह अंडरग्राउण्ड हो गए हैं जिनमें चिकित्सीय संघ के अध्यक्ष अजय चौधरी भी शामिल हैं। ऐसे में राजस्थान सरकार ने रेस्मा लागू करते हुए तड़ीपार चिकित्सकों की धरपकड़ शुरू कर दी है। शुक्रवार रात पुलिस ने आंदोलन पर गए सेवारत चिकित्सकों के घरों पर दबिश देकर 20 से ज्यादा डॉक्टर्स को गिरफ्तार किया है। पुलिस का यह धरपकड़ अभियान रात 9 बजे के बाद किया गया। सवाईमाधोपुर में 5, गंगापुर सिटी में 4, जालौर में 3, जोधपुर में 2, अलवर व पाली में एक-एक डॉक्टर शामिल हैं। गिरफ्तार चिकित्सकों में डॉक्टर्स संघ क संरक्षक सहित कई जिलाध्यक्ष भी शामिल हैं।

कुछ दिनों पहले से ही डॉक्टर्स अस्पताल की जगह बाहर खुले में मरीजों की जांच कर सरकार के खिलाफ विरोध जता रहे थे। राजस्थान में लाखों मरीजों पर आफत का पहाड़ टूट कर गिर सकता है और चिकित्सा व्यवस्थाएं बुरी तरह चरमरा सकती हैं। कुछ जिलों में डॉक्टरों को गिरफ्तार किए जाने से नाराज साथी डॉक्टर्स रात से ही थानों पर डेरा जमाए बैठे रहे और प्रदर्शन भी किया। बार-बार सरकारी अस्पतालों में कार्यरत इन चिकित्सकों का इस तरह से कार्य बहिष्कार और हड़ताल करना किसी भी तरह से चिकित्सीय पद की गरिमा से न्याय नहीं कहा जा सकता है।

इनका कहना है …

यह सरकार अंग्रेज राज से भी बदतर तरीके से पेश आ रही है जो सरासर गलत है।

– डॉ. दुर्गाशंकर सैनी, डॉक्टर्स संघ के प्रदेश महासचिव

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