पूर्वी राजस्थान में स्थित प्रदेश के धन के कटोरे के नाम से जाना जाने वाला हाड़ौती अंचल, अब खेती-किसानी के लिहाज से अपनी नयी परिभाषा गढ़ने जा रहा है। राज्य सरकार इस क्षेत्र की विशेषता को इसकी पहचान बनाने जा रही है। सरकार यहाँ लहसुन का विश्वस्तरीय प्रोजेक्ट बनाने पर काम कर रही है। सरकार की इस कोशिश से हाड़ौती क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बूंदी, बारा, झालावाड़ और कोटा ज़िले के किसानों को आर्थिक मजबूती मिलेगी। राजस्थान के कोटा में 24 से 26 मई तक आयोजित होने वाले ग्लोबल एग्रीटेक मीट (ग्राम) में सरकार हाड़ौती को देश का प्रमुख लहसुन हब बनाने की तैयारी को अंतिम रूप देने जा रही है। ग्लोबल एग्रीटेक मीट के आयोजन का उद्देश्य किसानों को उन्नत तकनीकी की जानकारी देकर सरकार की मंशा के अनुरूप उनकी आमदनी बढ़ाना है। इस तीन दिवसीय आयोजन में कोटा संभाग के प्रत्येक गांव से किसानों को आमंत्रित किया जाएगा।

कृषि मंत्री सैनी ने दिए संकेत

राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने सरकार की प्रस्तावित योजना की जानकारी देते हुए कहा कि, हाड़ौती में होने वाले उत्तम किस्म के लहसुन के विकास के लिए राजस्थान सरकार इस क्षेत्र में लहसुन आधारित इंटरनेशनल लेवल का एक्सपोर्ट जोन और टर्मिनल बनाने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजने जा रही हैं। जिसके तहत यहाँ शोध केंद्र की स्थापना के साथ लहसुन के बेहतर निर्यात की व्यवस्था की जाएगी। जिससे बिना समय गवाए फायदेमंद कीमत पर यहाँ के किसान अपने लहसुन को पूरे देश और विदेश में सप्लाई कर पाएंगे। प्रदेश के इस किसान हितकारी और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के सिलसिले में राजस्थान सरकार कुछ बड़ी कंपनियों के साथ एमओयू करने की तैयारी कर रही है। साथ ही साथ सन्तरा, धनिया, चावल एवं सोयाबीन पर आधारित बडे उद्योगों के लिए एमओयू होने की संभावना भी रहेगी।

हाड़ौती अंचल में होता है, उत्तम किस्म का लहसुन

भरपूर पानी की उपलब्धता वाले इस क्षेत्र में सरकार के लगातार प्रयासों के बाद अब हाड़ौती अंचल को देश के लहसुन उत्पादन का हब बनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यह उल्लेखनीय है कि कोटा और हाड़ौती अंचल के आसपास के जिलों में पैदा होने वाला लहसुन बेहद उम्दा किस्म का होता है। इस लहसुन को सफ़ेद सोना के उपनाम से जाना जाता है। देश की सभी सब्ज़ी मंडियों से लेकर श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, मिस्र और अमरीका तक में इसकी मांग है।