Abhijeet Gupta-Indian chess player
Abhijeet Gupta-Indian chess player
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शतरंज की बिसात बिछते ही जीत जिनके लिए एक खेल है, कुछ ऐसी ही शख्सियत के मालिक हैं अभिजीत गुप्ता। अभिजीत जैसे ही अपने प्रतियोगी के सामने बैठते हैं, लगता है मानो बिसात के हाथी, घोड़े और वजीर खुद—ब—खुद अपनी चाल चलने लगते हैं और कुछ ही मिनटों में दुश्मन की सेना को ध्वस्त कर देते हैं। यह हैं अभिजीत गुप्ता जो राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के रहने वाले हैं। कहते हैं कि बिसात पर बैठने के बाद अभिजीत की कोई चाल कभी व्यर्थ नहीं जाती। राजस्थान का ऐसा शेर जिसकी अंगुलियों पर शतरंग के हाथी, घोड़े, ऊंट और वजीर सहित राजा भी नाचते हैं, आज उनका जन्मदिन है। अभिजीत गुप्ता का जन्म 16 अक्टूबर, 1989 को हुआ था। अभिजीत ग्रैंडमास्टर (जीएम) का खिताब जीत चुके हैं। आपको बता दें कि गुप्ता 4 बार कॉमनवेल्थ शतरंज चैंपियन का खिताब अपने नाम कर चुके हैं और ऐसा करने वाले वह पहले खिलाड़ी हैं। भारत में उनकी प्रतिभा के आसपास भी कोई नहीं है।

Abhijeet Gupta-Indian chess player
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शतरंज दिमाग व मनोयोग का खेल है और अभिजीत को इस खेल में महारत हासिल है। उनके पास मेडल्स की एक पूरी चेन हैं जिनसे अलमारियां सजी हुई हैं। अपनी इसी महारत के दम पर उन्होंने एक से बढ़कर एक खिलाड़ियों को शतरंज की बिसात पर धूल चटाई है। अभिजीत अपने पड़ोसियों के साथ चैस खेला करते थे और फिर देखते ही देखते ये खेल उनका परिचय बन गया। अभिजीत 13 वर्ष की आयु में अंडर-19 नेशनल जूरियर चैस चैंपियन बन गए थे। उनका पसंदीदा शतरंज खिलाड़ी देश के सबसे बड़े चैस पलेयर विश्वनाथन आनंद हैं।

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Abhijeet Gupta-Indian chess player
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उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से पूरी की है। शतरंज में उन्हें बचपन से ही लगाव था और शायद यही वजह है कि उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में 20 पदक जीते हैं। उनके खिताबी करियर पर एक नजर डालें तो उनका स्पोर्ट्स करियर 2003 से शुरू हुआ जब उन्होंने एंडोरा ओपन जीत खुद की अलग पहचान बनाई थी। उसके 4 साल बार 2007 में 6वें नई दिल्ली (पाश्र्वनाथ)ओपन की ट्रॉफी अपने नाम कर ली। 2008 में तुर्की गाजियेंटेप में विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप जीती। 2011 में 13वीं दुबई ओपन और इसी साल भारतीय राष्ट्रीय प्रीमियर शतरंज चैम्पियनशिप, 2013 और 2015 में राष्ट्रमंडल शतरंज चैम्पियनशिप में भाग लेकर विजेता का ताज पहना। 2013 में सरकार की ओर से उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। उनका करियर यहीं नहीं रूका। 2014 में ताशकंद में आयोजित 8वीं जियोर्जी अग्जामोव मेमोरियल और 2016 में रेकजाविक ओपन खि़ताब जीत अपनी झोली में डाल जिले व प्रदेश का नाम रोशन किया है।

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