Counseling Center will be open in college for mental depression
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बढ़ते पढ़ाई के बोझ, तनाव और मानसिक अवसाद की समस्याओं की वजह से बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने के उच्च शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय मानिसक स्वास्थ्य कार्यक्रम मिलकर एक नई व अनूठी पहल करने जा रहा है। छात्रों की मानसिक अवसाद संबंधी समस्याओं को रोकने के लिए अब सभी कॉलेजों में काउंसलिंग सेंटर खोले जाएंगे और पहले चरण में ही इस समस्याओं को मौके पर दूर किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य केवल इतना है कि कोई भी छात्रा अवसाद में आकर भविष्य में कोई जोखिम भरा कदम ना उठाएं। गौरतलब है कि कोटा सहित राजस्थान के कई शहरों में पढ़ाई या अन्य मानसिक अवसाद के चलते आत्महत्या के मामलों में दिनोंदिन वृद्धि हो रही है। अगर इसे जल्दी रोका नहीं गया तो आंकड़ों में बढ़ोतरी हो सकती है। इन काउंसलिंग सेंटर्स की मॉनिटरिंग के लिए मनोविज्ञान विभाग की 8 सदस्यीय टीम और एक मनोविज्ञान प्रोफेसर को भी नियुक्त किया जाएगा।

एक महीने में 33 जिलों में खुलेंगे काउंसलिंग सेंटर, 4 करोड़ रूपए होगी लागत

राजस्थान के सभी 33 जिलों के बड़े महाविद्यालयों में 30 दिन के अंदर यह काउंसलिंग सेंटर खोल दिए जाएंगे। उच्च शिक्षा विभाग से इस फैसले को मंजूरी मिल चुकी है। राष्ट्रीय मानसिक कार्यक्रम इस योजना पर 4 करोड़ रूपए खर्च करेगा। इस तरह के सेंटर्स छात्र व महिला दोनों तरह के महाविद्यालयों में खुलेंगे। अगर कोई छात्र या छात्रा किसी तनाव या मानसिक तनाव में पाया जाता है तो उसकी पहचान कर पहले ही चरण में उसका इलाज शुरू कर दिया जाएगा।

इसलिए पड़ी काउंसलिंग सेंटर की जरूरत

Counseling Center will be open in college for mental depression

प्राय: यह देखने को मिलता है कि छात्र जीवन में युवाओं में मानसिक रोग समान्यता बड़ी संख्या में पाया जाता है। पढ़ाई के साथ पेरेट्स की ओर से दबाव होने की वजह से भी छात्र-छात्राएं अकसर मानसिक अवसाद में आ जाते हैं और यही वजह है कि वह आत्महत्या जैसे फैसले की ओर बढ़ जाते हैं। कॉलेज स्तर पर ही अगर उनकी काउंसलिंग की जाएगी जो पहली स्टेज में ही उन्हें इस मानसिक बिमारी से दूर किया जा सकता है।

इनका क्या कहना है :

छात्र ही देश का का भविष्य हैं। ऐसे में तनाव-अवसाद के कारण वे गलत कदम उठा लेते हैं। इसी समस्या के निवारण के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम और उच्च शिक्षा विभाग मिलकर काउंसलिंग सेंटर खोलने जा रहे हैं। उनका घर पर ही इलाज हो पाएगा।
– प्रदीप शर्मा, राज्य नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम