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लोकसेवकों को बचाने वाले विवादित कानून आॅर्डिनेंस बिल यानि राजस्थान संशोधन विधेयक 2017 के लिए गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने 7 सदस्यीय प्रवर समिति का गठन कर दिया है। इस समिति में 4 सदस्य सत्तापक्ष और शेष 3 सदस्य विपक्ष से होंगे। यही प्रवर समिति इस कानून के भविष्य का फैसला करेगी। माना जा रहा है कि बीजेपी राजस्थान सरकार इस बिल को वापिस लेने के मूड में बिलकुल भी नहीं है लेकिन आॅर्डिनेंस बिल पर हंगामे को देखते हुए इसके विवादित पक्षों को हटा सकती है। अब यह बिल महाराष्ट पैटर्न पर लागू होगा। प्रवर समिति को आगामी बजट सत्र के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट विधानसभा में रखनी है। समिति के सदस्यों का चयन किया जा चुका है लेकिन विधानसभा अध्यक्ष कैलाश चन्द्र मेघवाल की मुहर लगनी बाकी है। प्रवर समिति आॅर्डिनेंस बिल के संशोधन पर जल्द ही अपना काम शुरू कर देगी।

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आपको बता दें कि आॅर्डिनेंस बिल या लोकसेवकों को बचाने वाले इस कानू को लेकर काफी हंगामा हो चुका है। इस बिल को भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला कानून और काला कानून भी बताया गया है। कटारिया ने क्रिमिनल लॉ राजस्थान अमेंडमेंट बिल 2017 को 23 अक्टूबर को विधानसभा में पेश किया था। सदन में भारी हंगामे के बीच उन्होंने आॅर्डिनेंस बिल को प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव पारित कराया था। कटारिया को ही प्रवर समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

हाईकोर्ट में सुनवाई कल

राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर में बुधवार को आॅर्डिनेंस बिल के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई होगी। याचिककर्ता ने इसे संविधान के विरूद्ध बताया था। इसमें आम आदमी को अजिस्टेट के समक्ष किसी भी आरोपी जज या लोकसेवक के खिलाफ किसी भी तरह की भ्रष्ट आचरण की शिकायत करने का अधिकार नहीं रहेगा। साथ ही मीडिया की स्वतंत्रता भी प्रभावित होगी। उक्त आरोपी के खिलाफ समाचार प्रकाशित होने पर दो साल की सजा का प्रावधान भी इस बिल में रखा गया है जिसे अवैधानिक बताया गया है।

4 दिसंबर को स्वत: खत्म हो जाएगा अध्यादेश

जल्दी ही आॅर्डिनेंस बिल पर कोई फैसला नहीं लिया गया या प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट नहीं दी तो आगामी 4 दिसंबर को यह कानून स्वत: ही समाप्त हो जाएगा। अब केवल 13 दिन का समय बचा हुआ है, ऐसे में सत्तापक्ष पार्टी को अगर इस बिल को पास कराना है तो प्रवर समिति से शीघ्र रिपोर्ट की मांग करनी होगी। वैसे देखा जाए तो सत्ताधारी वसुंधरा राजे सरकार यह कानून वापस लेकर भ्रष्टाचार के मामले में घिरने के लिए विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहेगी लेकिन पहले भी आॅर्डिनेंस बिल पर काफी बबाल मच चुका है। ऐसे में यह विवाद आगे नहीं बढ़े, इसके लिए इस विधेयक को ठंडे बस्ते में भी डाला जा सकता है।

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