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Why is the BJP government's Barmer refinery more cost-effective than the Congress.

राजस्थान के बहुप्रतिक्षित और अब तक के सबसे बड़े निवेश वाले प्रोजेक्ट बाड़मेर रिफाइनरी का कार्य शुभारंभ मंगलवार को होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 जनवरी को बाड़मेर रिफाइनरी का कार्य शुभारंभ करेंगे। कार्य शुभारंभ के अवसर पर भारी भीड़ जुटने का अनुमान है। कार्य शुभारंभ होते ही प्रदेश के बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 1 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावनाएं हैं। बाड़मेर रिफाइनरी देश की सबसे अत्याधुनिक तकनीकी वाली रिफाइनरी होगी। इस प्रोजेक्ट पर कांग्रेस का कहना है कि ​बाड़मेर रिफाइनरी कांग्रेस की देन है। जबकि वर्तमान बीजेपी सरकार का कहना है कि रिफाइनरी सोच की हमारी सरकार की थी। कांग्रेस सरकार सत्ता में आने से प्रोजेक्ट बीच में अटक गया था। इसी बीच जानते हैं कि कांग्रेस के मुकाबले राजे सरकार की रिफाइनरी राजस्थान के लिए कितनी किफायती है…

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कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी सरकार की बाड़मेर रिफाइनरी प्रदेश के​ लिए क्यों है किफायती!

कांग्रेस की तुलना में 40 हजार करोड़ कम होगी रिफाइनरी प्रोजेक्ट की लागत

कांग्रेस की तुलना में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की रिफाइनरी की लागत 40 हजार करोड़ रुपये कम है। जिससे सीधे—सीधे प्रदेश के 40 हजार करोड़ रुपये बचेंगे। कांग्रेस सरकार के एमओयू के तहत बाड़मेर रिफाइनरी पर 56,040 करोड़ रुपये खर्च होने थे, वहीं बीजेपी सरकार के नए एमओयू के तहत सिर्फ राज्य सरकार पर 16,845 करोड़ रुपये का वित्तीय भार आएगा। कांग्रेस के प्रोजेक्ट के तहत निवेश पर सिर्फ 6.2 प्रतिशत रिटर्न आना था जबकि बीजेपी सरकार के प्रोजेक्ट में निवेश पर 12 प्रतिशत रिटर्न आना है। टेक्नोलॉजी के मामले में भी बीजेपी सरकार कांग्रेस पर भारी है। इस प्रोजेक्ट में सबसे आधुनिक बीएस—6 मय मानकों वाला उत्पादन होगा। साथ ही रिफाइनरी में एक प्लांट अतिरिक्त भी लगाया जाएगा।

कांग्रेस ने की थी रिफाइनरी के नाम पर खानापूर्ति, ज़मीनी धरातल पर कार्य करवा रही बीजेपी

कांग्रेस ने जहां आचार संहिता लागू होने से 5 दिन पहले बाड़मेर रिफाइनरी का शिलान्यास करवा दिया था वहीं, बीजेपी सरकार रिफाइनरी को धरातल पर उतारने के लिए पूरी तैयारी के साथ कमा शुरु करवाने जा रही है। कांग्रेस ने जहां जल्दी में पर्यावरण स्वीकृति, ज़मीन की लीज डीड आदि जैसे कार्यों की वैधानिक स्वीकृति नहीं ली थी, वहीं बीजेपी ने सभी कार्यों की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त कर ली है। कांग्रेस ने परियोजना पर कागजी घोषणा की थी। ज़मीन स्तर पर कोई काम नहीं हुआ था। जबकि राजे सरकार ने ज़मीनी स्तर पर कार्य शुरु करवाने के लिए पहले पूरी तैयारी कर ली है। गौरतलब है कि कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी सरकार के रिफाइनरी प्रोजेक्ट से प्रदेश के 40,000 करोड़ रुपये बर्बाद होने से बचेंगे। जिससे प्रदेश पर अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आएगा। साथ ही प्रदेश के बड़ी संख्या में बेरोजगार युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध होगा।

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